कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!... वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ https://onmloe82615.wikicommunications.com/4822510/an_unbiased_view_of_shiv_chalisa_lyricsl